लम्हे

लम्हे..
हमारा दिल धुंडता रहा
फुरसत के वो लम्हें
तुम्हारी बीती हुई लम्होंने
तो आज तक जिंदा रखा है
जहां रहो वहां खुश रहो
कबर तक राह देखेंगे
तुम्हारी खबर की
तुम नही तो क्यां
लम्हों ने कहां छोडा है.

मन

वडील..